थोड़ा बुरा हूं, है खबर मुझे
पर तेरे हर जज्बातों की है कद्र मुझे
इतना हस्ता हूं तो क्या हुआ
और दर्द ना दे पहले से ही 100 दर्द है मुझे
रुक्सत होते हुए तो मुड़कर तक नहीं देखा तुमने
अब आकर पूछते हो क्या मर्ज है मुझे
जब भी उठे है ये हाथ तो दुआ मांगी है तेरे लिए
यूं खुदगर्ज कहकर, बगेरत ना कर मुझे
और हा अब छोड़ दे मुझे तन्हा यू जीने के लिए
कहीं घुटकर मर ना जाऊ इतना बेबस ना कर मुझे
मैं थोड़ा बुरा हूं तो क्या…मेरे दोस्त खबर तो जमाने की भी है मुझे !!