दीदी, मै कल से काम पे नहीं आएगी।अरे, क्या हुआ बिमला। कुछ नहीं हुआ दीदी । तोह फिर काम पे क्यों नहीं आयेगी। ऐसे ही दीदी। ऐसे ही क्या होता है, पैसे चाहिए तुझे बता मुझे क्या हुआ है, नहीं दीदी पैसे भी नहीं चाहिए। अरे तोह फिर क्यों काम छोड़ रही है बता मुझे। दीदी वो.. वो.. क्या वो वो क्या हुआ है क्यों छोड़ रही है काम। दीदी वो भाईइया..
तभी बाहर घंटी बजती है। छाया दरवाजा खोलने जाती है। सुरेश को सहमने देख कर बिमला डरी सहमी हुई तेजी से घर से बाहर भाग जाती है।
बिमला.. बिमला… अरे कहां जा रही है। अरे सुन तो सही। बिमला रुक ना। छाया बिमला को रोकती हुई उसके पीछे भागती है और बिमला रोज़ शाम की घंटी की आवाज़ से मुक्त होकर बहुत दूर भाग जाती है।